Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2010

सबका मशीहा बन चुका………………!

धरती पे शायद कुछ भी ऐसा नहीं जिस पर ऊँगली न उठाई जा सके लेकिन प्रतिसत में अंतर जरुर देखा और किया जा सकता है ऐसे में आज सबके जीवन में एक अभिन्न रूप धारण करती देश की मिडिया को भी तो लोग कई नज़रों से देखते ही है कुछ इसको सौ प्रतिशत से भी ऊपर श्रेणी में रखते है तो कुछ के नजर में ये प्वाईंट जीरो से भी कम………. लेकिन फिर भी कोई न कोई बात तो है ही की आज इसने सबके बिच एक जबरदस्त तरीके से अपनी प्रस्तुती की है और आज सबकी समस्याओ की घडी में मदद करने वाले एक मशीहा के रूप में उभरा कर हर समस्याओं के सामने खड़ा है जी हाँ देश के कुछ ही इलाके जो जरुरत से ज्यादा ही पिछड़े हैं यानि वंहा पर जीवन यापन करने वाले लोग जो किसी भी आधुनिक चीजो से कोसो दूर हैं को छोड़ कर आज शायद ही कोई ब्यक्ति ऐसा होगा जो इस शब्द यानि मिडिया से अपरचित हो,अब ऐसे में चाहे इसका कोई भी रूप हो(प्रिंट,इलेक्ट्रोनिक या वेब)हर छेत्रों में अपना ब्यापक विस्तार करते हुए देश की सेवा के लिए हमेशा ही आगे बढ़ कर कम किया है इसने! जी हाँ रोती आँखों को पोंछने की ललक वो चाहे किसी भी वर्ग की आँख हो, देश में घटित हो रहे अनेकों प्रकार की घटनाये चाहे वो र...

पहले चलना तो सीखो बहन की तरह……………..

शाम की सुहानी हवा से मन में शांति पाने के लिए गेट के बाहर वाली चाय की छोटी सी दुकान पर जैसे ही पहुंचा और अभी दुकानदार को चाय के लिए बोलते हुए जैसे ही बैठने की कोशिश कर ही रहा था की अचानक ही रोड पर एक तेज़ रफ़्तार से बाइक जाने की आवाज़ सुनाई पड़ी मैंने मुड कर तुरंत देखा की वो बइक किसी स्कूटी का पीछा कर रही थी और कुछ दूर आगे जाने पर दोनों गाड़ियाँ रुक गई फिर कुछ तेज़ आवाज़ में बात होने लगी अब आवाज़ सुन आस पास के तथा आने जाने वाले लोग इक्कठा होने लगे अब चूकी लड़की और लड़कों की बात थी तो मेरे साथ कुछ और लोग जो दुकान पर बैठे थे हम सब आगे उधर की ओर बढे! तब तक गंगाराम का मोबाइल बजा और वो किसी से बात करने लगा, क्या सोच रहे है गंगाराम कौन है अरे ये तो मेरा बहुत ही पुराना मित्र है और कल अचानक ही बहुत दिनों के बाद मिल गया फिर हमलोग बगल में एक चाय की दुकान पर बैठ कर चाय की चुस्की लेने के साथ-साथ एक दुसरे का हाल चाल पूछने लगे! गंगाराम के हाथ में अख़बार था जिसमे एक न्यूज़ पर गंगाराम अचानक ही हँसते हुए ये कहानी मुझसे कहने लगा था! अब चुकी कहानी अभी अधूरी थी तो फोने रखते ही मैंने उससे कहा की हाँ गं...

अब खाले बेटी...

फोन के घंटी की आवाज़ सुनते ही सुबह से इंतजार कर रही रुक्मिणी के अन्दर अचानक जोश आ गया और दौड़ती हुई फोन रिसीवर को उठा कान में लगाते ही बोल पड़ी भैया कैसे हो मेरी राखी आपने बांधी की नहीं,आपको पता है की ये आपकी बहन आपके फोन का ही इंतजार कर रही थी पहले ये बताओ आपने कुछ खाया की नहीं मुझे भी बहुत जोर की भूख लगी है भैया और पता नहीं क्या क्या बिना साँस लिए बोलते हुए उदास हुई रुक्मिणी काफी खुश दिख रही थी की अचानक ही उसकी आवाज़ रुक गई……………दर असल फोन कम्पनी से आपरेटर का था जो बकाये बिल की याद दिलाने के लिये किया था! रिसीवर रख दुबारा उदासी से दोस्ती करते हुए रुक्मिणी बैठका में उस टेबल के बगल में जा कर बैठ गई जिस पर उसके इंजीनियर भाई प्रमोद की फोटो रखी थी तथा हँसते हुए प्रमोद के फोटो को देख अचानक सारा गुस्सा उतारते हुए बोल पड़ी आज मै भी देखती हूँ की आप मुझे याद करते हो की नहीं और हाँ एक बात और सुन लो चाहे सूरज पूरब के बजाय पश्चिम से क्यों न उगे खाना तो तभी खाऊँगी ज़ब तक हर साल की तरह आप मुझसे पूछ नहीं लेते! इतने में उसकी पुराणी और प्रिय दोस्त अपने नये मोबाइल जो उसके भाई श्याम ने उसे १२ वी म...

“समस्या” जिसने अंदर से खोखला किया….

हम भारतीय है, एक ऐसा वाक्य जिसे हर भारतीय शान से कह कर गर्व से अपना सर ऊँचा करके फुले नहीं समाता और बार बार अपनी आज़ादी का एहसास पाता है. तथा सारी दनिया भी कहीं ना कहीं किसी न किसी बिंदु पर हमारे सामने और हमारी सहमती में हाथ उठाने पर मजबूर होती है और क्यों न हो हम विश्व में एक मजबूत हश्ती के रूप में उभर कर सामने आयें है! आपको अछी तरह याद होगा की आज से ६4 वर्ष पूर्व इस सोने के धरती के उन पुत्र {बलिदानियों} ने अपनी जान को अपने मा रूपी धरती के नाम न्योछावर कर किस तरह बचाते बचाते भारत रूपी उपहार को हमारे हाथों में देने से पहले इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी की उनका देश कहीं से भी किसी भी परिस्थिति में किसी के दबाव में रहे उनका तो शायद सिर्फ एक ही सपना था की उनका भारत पूर्ण रूप से आजाद होकर अनेको समस्यायों को तार-तार करते हुए शक्तिशाली और समृध्शाली होने के साथ साथ एक विक्सित रास्ट्र बनकर पुरे संसार के सामने एक ऐसा ताकतवर टावर{मजबूत शक्ति} बनकर खड़ा हो जिसके सामने सभी नतमस्तक होने पर मजबूर हो और फिर अपनी जान को माँ रूपी धरती के नाम लिख कर बलिदान देने वाले उन महारथियों के सपनो को सजीव करने के लिए ह...