तेज़ रफ़्तार से चल रही जीवन रूपी गाड़ी में से दस मिनट का समय निकाल पाना आसान होते हुए भी काफी मुश्किल सा नज़र आता है। वही पुरानी घिसी पिटी रोज की दिनचर्या...............सुबह-सुबह गायत्री मंत्र वाले अलार्म टोन के साथ एक खूबसूरत दिन की चाहत में आँखों का खुलना, जल्दी-जल्दी महत्वपूर्ण आवश्यक्ताओं को पूरा करते हुए समय से पांच मिनट पहले पहुचने का टार्गेट लिए निर्धारित समय पर ही आफिस में घुसना और फिर एक गिलास सादे पानी के साथ जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए अपने कार्य में लग जाना। कार्य के दौरान कभी बोस की सुनना तो कभी झल्लाए दिमाग से जूनियरों को सुनाना, फिर शाम को जल्दी घर पहुँचाने की मन में लालसा लिए लेट हो जाना और रात में देर से सोना..............। रविवार का दिन होने के कारण देर तक बिस्तर पर लेटे रवि के दिमाग में ये सारी बातें काफी देर से घूम रहीं थी। मन उबा तो सोचा कि क्यों न दो चार दिन की छुट्टी लेकर कहीं घूम आने का प्रोग्राम बनाया जाय। दिमाग और मन के साथ काफी मशक्कत करने और फिर बाद में दोनों को मनाते हुए वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि क्यों न शिवानंद के घर ही चलूँ, खर्च भी कम होगा ...
"स्वयं हमेशा खुश रहें और सदैव अच्छे लोगों को खुश रखने की कोशिश करें। प्रयास यह निरंतर होना चाहिए कि, आपकी कोई भी गतिविधि ऐसी ना हो जिससे किसी सज्जन जीव को किसी भी प्रकार के मुश्किल का सामना करना पड़े...।" -धर्मेश तिवारी