रक्षा बंधन.................। चारो तरफ फुटपाथ से लेकर बड़े-बड़े दुकानों तक अनेको रंग बिरंगी राखियों का कब्ज़ा। आलम यह कि कहीं तख़्त पर पड़े बड़े-बड़े छतरी तो कहीं रस्सियों से लटके मनमोहक रंगों में रेशम के धागे जो खुद ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर सबको बता देते हैं कि भाई बहन का त्यौहार बिलकुल करीब है। ऐसे मौके पर जहां एक तरफ सड़कों के किनारे अनेकों दुकानों से लेकर बड़े-बड़े मॉल भी इस त्यौहार में लोगों को अपनी तरफ रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते तो दूसरी तरफ मिठाईयों कि दुकानों को हर कोई खगालने में ही ब्यस्त होता है। आखिर ऐसा हो भी क्यों न यही तो वो पवित्र त्यौहार होता है जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है और साथ ही इसी बहाने भाई को एक और मौका मिलता है अपनी लाडली या फिर बड़ी बहन को कुछ तोहफा देने का.............................। दरअसल ये सारी बाते कैंसर के जाल में फंसे अर्जुन के दिमाग में घंटों से चक्कर लगाये जा रही थी। कमरे में पड़ी टूटी चारपाई जिसने एक झूले का स्वरुप ले रख्खा था पर लेटा अर्जुन हाथ को अपने सिर पर रख्खे दोनों आँखों को सीधे छत की ओर एक टक लगाये इस क़द्र...
"स्वयं हमेशा खुश रहें और सदैव अच्छे लोगों को खुश रखने की कोशिश करें। प्रयास यह निरंतर होना चाहिए कि, आपकी कोई भी गतिविधि ऐसी ना हो जिससे किसी सज्जन जीव को किसी भी प्रकार के मुश्किल का सामना करना पड़े...।" -धर्मेश तिवारी