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Showing posts from August, 2018

हेलो...भैया !

सुबह से बिना कुछ खाए-पिए फोन की खनखनाहट सुनने को तरस रहे रुक्मिणी के कानों ने जैसे ही घंटी की आवाज सुनी, बिना पल गवांए खुशी के हर तिनके को समेटते दौड़ती हुई फोन रिसीवर को उठाकर बिना कुछ सुने बोल पड़ी हेलो..........भैया.............कैसे हो? मेरी राखी आपने बांध ली.........................। आपको पता है भैया....................आपकी बहन आपके फोन का ही इंतजार कर रही थी। आज के दिन कितनी देर से आपने फोन किया....................अच्छा चलो, पहले ये बताओ आपने सुबह से कुछ खाया है या नहीं। मुझे बहुत जोर की भूख लगी है भैया............। बिना दूसरी साँस लिए और पता नहीं क्या-क्या बोलते हुए सबेरे से उदास बैठी रुक्मिणी का अभी खुशी पर पूर्णतया कब्जा शुरू ही हुआ था कि, अचानक उसकी आवाज पर ब्रेक लग गया……………। दरअसल, आया हुआ फोन उसके भाई का नहीं बल्कि कम्पनी से आपरेटर का था जो, बकाये बिल की याद दिलाने के लिये किया था। रुक्मिणी का खिलखिला चेहरा कुछ ही देर में फिर मायूस हो गया और रिसीवर रख दुबारा उदासी से दोस्ती करते हुए वह बैठका में उस टेबल के बगल में जा कर बैठ गई जिस पर उसके इंजीनियर भाई प्रमोद की फोटो रखी...