इंसान एक जीव है और कोई भी जीव सजीव होता है- ऐसा इसलिए क्योंकि वह चल सकता है, बोल सकता है, सोच सकता है और कुछ भी कर सकता है। ऐसा बचपन से सुनता आया हूँ। अबतक के जीवन यात्रा में जितने भी लोगों से साक्षत्कार हुआ और जिसके पास जितना अधिक ज्ञान मार्ग हैं, सभी ने अपनी पकड़ के अनुसार उस पर चलाते हुए यह बताने और समझाने में कहीं कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी कि जीव चाहे किसी भी रूप में हो वह सजीव ही होता है। आज भी अनेकों विद्वान अपने ज्ञानदीप से यह उजाला करने की लगातार कोशिश में लगे रहते हैं कि जीव के अनेक रूप हैं और सभी रूपों में वह सजीव ही होता है। ऐसे में यह कहना शायद गलत हो परंतु, पता नहीं क्यों दिमाग का एक छोटा सा कोना तमाम ज्ञानार्जन के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहा कि जीव सजीव होता है, ऐसा वह मानने को तैयार ही नहीं। बार-बार उसे समझाने पर भी उसे यही लग रहा है कि जीव तो सजीव है ही नहीं। हकीकत में यह भी निर्जीव है जैसे कमरे में रखी एक कुर्सी। और जिस प्रकार उस कुर्सी के सजीव होने का कोई सवाल नहीं, ठीक उसी प्रकार किसी भी जीव चाहे वह किसी भी रूप में हो उसके सजीव होने का भी कोई सवाल पैदा न...
जी हाँ, आज विश्व के अधिकतर देश कोरोना के रूप में फैले आतंक के चपेट में हैं। अपना देश भारत भी इससे अछूता नहीं रहा और पिछले कुछ दिनों से लगातार इसके आंकड़ों में वृद्धि से समूचा देश चिंतित है। इससे बचाव के हर सम्भव कदम उठाने में निश्चित तौर पर सरकार काफी तेजी से आगे बढ़कर कार्य कर रही है। विशेषज्ञयों की मानें तो इससे लड़ने में सोशल डिस्टेंस और स्वच्छता ही एक मात्र उपाय के रूप में सबसे बड़ी दवा भी साबित हो सकता है जिसे हम सभी पिछले कई दिनों से जी रहे हैं। हम सभी घरों में बैठे देख भी रहे हैं कि, पूरे देश में इसका कड़ाई से पालन हो और करवाया भी जा रहा है। प्रशासन द्वारा लगातार लोगों को सुझाव भी दिए जा रहे हैं कि, घरों से अनावश्यक बाहर न निकलें। बाहर होने की स्थिति में चेहरे को अवश्य ढ़क कर रखें। एक दूसरे से दूरी बना कर रहें। हाथों को लगातार धोते रहें तथा बार-बार आँख, नाक और मुँह को छूने से बचें। यानी, कुल मिलाकर स्वच्छ रहने की कोशिश करें और अनावश्यक घर से बाहर निकलने से बचें ताकि संक्रमण न फैले। लेकिन, इस दौरान एक सवाल जो लगातार परेशान कर रहा है वो यह कि, आखिर आज प्रशासन क्यों उपरोक्त ...